बीजापुर ट्रैक सीजी न्यूज जिला ब्यूरो चीफ
भोपालपटनम
13/08/2025
भाजपा नेता गिरिजाशंकर तमड़ी द्वारा बीजापुर जिला पंचायत के पूर्व सदस्य एवं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता बसंत राव ताटी पर लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस पार्टी के युवा नेता अरुण वासम ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भैरमगढ़ निवासी कांग्रेस एवं भाजपा से बेदखल नेता अजय सिंह के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बसंत ताटी को गिरजा शंकर तमड़ी जैसे भ्रष्टाचारी नेता को ढाल बनाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि गिरिजाशंकर तमड़ी ने अपने परिवार के नाम शासकीय इंद्रावती महाविद्यालय के पीछे बफर जोन स्थित बड़े झाड के जंगल में लगभग 25 से 30 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है।इसलिए उसके खिलाफ बसंत ताटी द्वारा वन भूमि में अवैध अतिक्रमण करने वालों की सूची में गिरिजाशंकर तमड़ी का भी नाम लिया गया है।इससे बौखलाकर ही तमड़ी ‘खिसियाई बिल्ली खम्बा नोचे’ वाली कहावत को चिरतार्थ कर रहे हैं। अरुण वासम ने कहा कि यह सच है कि बसंत ताटी सरस्वती शिशु मंदिर भोपालपटनम के कई वर्ष व्यवस्थापक रहे हैं।यह भी कि भोपालपटनम में सरस्वती शिशु मंदिर को स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही है। लेकिन बसंत ताटी जब तक उस पद पर बने रहे,तब तक किराये के मकान में ही इस शाला का संचालन कराया था। उन्होंने कभी भी गिरिजाशंकर तमड़ी की तरह नियम विरुद्ध वनभूमि में अवैध अतिक्रमण कर सरस्वती शिशु मंदिर का संचालन नहीं किया। वासम ने यह भी कहा कि जहाँ तक ग्राम पंचायत गुंलापेटा के आश्रित ग्राम गेर्रागुडा में सडक निर्माण का सवाल है, ग्राम पंचायत गुंलापेटा के प्रस्ताव के आधार पर ही निर्माण कार्य स्वीकृति हुआ था, जिसकी कार्य एजेंसी भी ग्राम पंचायत गुंलापेटा रही।
गिरिजाशंकर तमड़ी के इस आरोप पर कि बसंत ताटी महाराष्ट्र से व्यापार करने आये, जो कि यहाँ के मूलनिवासी नहीं है,उसे स्पष्ट करते हुए कहा कि भोपालपटनम् सीमावर्ती नगर है और 1956 से पहले यह मध्यभारत, यानी वर्तमान महारष्ट्र के चाँदा ज़िले का हिस्सा था।इसलिये ग़ौर करने वाली बात यह है कि उस समय अधिकांश ग़ैर आदिवासी यहाँ सीमवर्ती महाराष्ट्र, तेलंगाना और अन्य राज्यों से आकर बसे थे।ताटी पर उंगली उठाने से पहले गिरिजाशंकर को अपनी जड़ों का भी पता लगाना चाहिए।उन्होंने गिरिजाशंकर तमड़ी से सवाल किया कि क्या वे महाराष्ट्र से आये हुए लोगों को मूलनिवासी नहीं मानते हैं?फिर अन्य दूरस्थ राज्यों से आकर यहाँ बसे लोगों के बारे में वे क्या कहेंगे?
अरुण वासम ने कहा कि गिरिजाशंकर तमड़ी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि बसंत ताटी बाहर से नहीं आये हैं।जैसे गिरिजाशंकर गुंलापेटा के हैं,ठीक वैसे ही ताटी भी भोपलपटनम के मूल निवासी हैं।प्राथमिक शिक्षा से लेकर अब तक का उनका जीवन इस तथ्य का साक्षी है।
वासम ने कहा कि गिरिजाशंकर तमड़ी को यह भी बताना होगा कि जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के दिग्गज नेता नीलम गणपत का जन्म कहाँ हुआ, और किस प्रदेश से आये हैं? जहाँ तक ‘जिस थाली में खाये, उसी में छेद’ करने वाली कहावत की बात तो गिरिजाशंकर तमड़ी पर फिट बैठती है,क्योंकि गिरजा शंकर तमड़ी ने जिस ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य करने के नाम पर अग्रिम राशि ली, उसी ग्राम पंचायत को चूना लगाने का काम किया है। जहाँ तक पूर्व जिला पंचायत सदस्य बसंत ताटी को विगत पंचायत चुनाव में पराजित करने की बात है तो गिरिजाशंकर तमड़ी को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि बसंत ताटी वह नेता है, जो आपके घर में घुस कर यानी,आपके क्षेत्र में आपके ही नेता नीलम गणपत को वर्ष 2000 में संपन्न हुए जनपद पंचायत सदस्य के चुनाव में बुरी तरह पराजित किया था,और तब से लेकर वर्ष 2020 तक उन्हें लगातार पांच बार पराजय का मुँह देखना पड़ा।
अरुण वासम ने कहा कि भाजपा नेता गिरिजाशंकर तमड़ी को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए की एक तरफ भारतीय जनता पार्टी *’एक भारत, श्रेष्ठ भारत’* का नारा देती है तो दूसरी तरफ भाजपा के स्थानीय नेता क्षेत्रीयता के नाम पर फूट डालते हुए स्वच्छ वातावरण को दूषित करने का काम कर रहे हैं। अंत में अरुण वासम ने कहा कि ईश्वर गिरिजाशंकर तमड़ी को सद्बुद्धि दे,ताकि वे अपनी दूषित मानसिकता से स्थानीय एवं बाहरी लोगों के बीच मतभेद उत्पन्न करते हुए भाईचारा बिगाड़ने का काम न करें।