•खेतों में भरा पानी, चिंतित किसान

अंतागढ़/ट्रैक सीजी/अलका गर्ग:
छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम के बेपरवाह कर्मचारी व अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा अब किसान भुगतने को मजबूर हैं, धान बीज के बोरे में बीज का नाम कुछ और परंतु आबंटित धान का बीज कुछ और ही।
मामला अंतागढ़ क्षेत्र का है जहां छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम द्वारा किसानों को दिए जाने वाले धान के बीज में काफी गड़बड़ी होने की शिकायतें आ रही है, धान की बोरियों में लिखे बीज के नाम के विपरीत धान का बीज निकल रहा है।
बता दें अंतागढ़ लैंप्स से किसानों को जो धान के बीज दिए गए थे, उनकी बोरियों में एमटीयू 1001 लिखा था, जो कि एक सौ दस से एक सौ नब्बे दिन अर्थात् समय से तैयार होने वाली अच्छी फसल का बीज माना जाता है, किंतु धान के बीज की बोरियों के अंदर हरुना और जल्द तैयार होने वाला धान का बीज निकलने की वजह से फसल करीब एक माह पहले ही पक कर तैयार हो चुका है, अब जबकि खेतों में पानी अभी सुखा नहीं है ऐसी स्थिति में किसानों के सामने दुविधा आ गई है कि वे आख़िर करें तो करें क्या? धान की कटाई पानी से भरे खेत में नहीं कर सकते और धान की कटाई यदि नहीं की गई तो पके हुए धान अपनी बालियों से झड़ने लगेंगे।

अब ऐसी स्थिति में जिन किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लैंप्स अंतागढ़ से खाद व बीज लिया था उनके लिए अब लिए गए कर्ज को चुकाना भी मुश्किल होता नजर आ रहा है।
बता दें अंतागढ़ लेम्पस में धान के बीज कांकेर बीज निगम द्वारा भेजा जाता है, अब सवाल यह उठता है की धान के बीज में जो गड़बड़ी हुई है वह राज्य बीज निगम द्वारा की गई है या कांकेर बीज निगम द्वारा।
गड़बड़ी चाहे किसी ने भी की हो किंतु इसने किसानो की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उन्हें चिंता है कि उनके द्वारा निकाले गए कर्ज की भरपाई वो कैसे करेंगे।
युवा कृषक जागेश्वर देहारी ने बताया कि उन्होंने जो धान लैंप्स से लिया था उसकी बोरी में एमटीयू1001 लिखा था किंतु धान की बुआई के बाद जब समय से पहले धान पकने लगा तो उन्हें एहसास हुआ की धान की बोरी में जो लिखा था धान का बीज उसके विपरीत था। जो धान नवंबर के अंतिम सप्ताह में तैयार होता है वह अक्टूबर में ही पककर तैयार हो चुका है, जबकि खेत में पानी भरा हुआ है ऐसी स्थिति में धान की कटाई भी नहीं हो सकती और धान की कटाई नहीं होने पर धान की बालियों का झड़ना प्रारम्भ हो जाएगा। अब उन्हें चिंता है कि उनके द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड लोन से खाद एवं बीज जो की लैम्प्स से लिए गए थे उसकी भरपाई वह कैसे करेंगे?
इस विषय में अंतागढ़ के वरिष्ठ कृषि अधिकारी महात्मा तेरेता ने बताया कि उन्होंने स्वयं खेतों में जाकर धानो की स्थिति का जायजा लिया है, और यह बात सच है कि जो धान के बीज छत्तीसगढ़ राज्य बीज निगम द्वारा कृषकों को दिए गए हैं वो जल्द ही पकने वाले धान के बीज दे दिए गए हैं, जबकि धान के बीज का जो लाट अंतागढ़ क्षेत्र में दिया गया है उसके बोरों में हरूना धान दे दिया गया है जो कि समय से पूर्व पक चुका है, जबकि इससे किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने इस विषय में लेम्प्स प्रबंधक को आदेशित किया है कि राज्य बीज निगम को इस विषय में पत्र लिखकर इसकी क्षतिपूर्ति हेतु जिले के कलेक्टर एवं संबंधित अधिकारियों जानकारी दें।
वहीं अंतागढ़ के लैंप्स प्रबंधक ने भी स्वीकार किया की अंतागढ़ में जो बीज का लाट आया है जिसका क्रमांक एमटियू1001डी 2 nav 21-34-831-1203 है, जो कि किसानों को देने व फसल के समय से पूर्व पकने की शिकायत के पश्चात पता चला की यह धान समय से पहले तैयार होने वाला हरुना धान है जो अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में ही पक कर तैयार हो गया है। उदय निषाद ने बताया कि गलती बीज निगम की है, हमारा कार्य सिर्फ किसानों को बीज और खाद प्रदाय करना है, ऐसे में बीज विभाग की गलती का खामियाजा क्षेत्र के तमाम कृषक भुगत रहे है।
ज्ञात हो शासन किसानों के लिए अनेक योजनाएं चला रही है, उन्नत कृषि के लिए सब्सिडी सहित अन्य योजनाओं का लाभ कृषकों को दिया जा रहा है किंतु संबंधित विभाग के कर्मियों की बेपरवाही से कई किसानों की रातों की नींद उड़ गई है।
अब उम्मीद यही है कि सरकार इन कृषकों के दर्द को समझे और उनके द्वारा लिए गए कर्ज को माफ करे साथ ही राज्य बीज निगम के जिम्मेदार कर्मियों पर कार्यवाही करें ताकि ऐसी गलती दोबारा न हो।